Attitude Shayari “इसी तेवर के चक्कर में दुनिया हमारी दीवानी है।”
Mat Karo Meri Peeth Ke Peeche Baat Jakr Kone Mai,
Varna Puri Zindagi Guzar jayegi Rone Mai....
Varna Puri Zindagi Guzar jayegi Rone Mai....
मत करो मेरी पीठ के पीछे बात जाकर कोने में ,
वर्ना पूरी ज़िन्दगी गुज़र जाएगी रोने में।
वर्ना पूरी ज़िन्दगी गुज़र जाएगी रोने में।
مت کرو میری پیٹھ پیچھے بات جاکر کونے می
ورنا پوری زندگی گزر جاےگی رونے می
ورنا پوری زندگی گزر جاےگی رونے می
Yeh Mat Samjhiye Ki Tere Kabil Nhi Hain Hum,
Tadap Rhe Hai Vo Jise Haasil Nhi Hain Hum
Tadap Rhe Hai Vo Jise Haasil Nhi Hain Hum
ये मत समझ कि तेरे काबिल नहीं हैं हम,
तड़प रहे हैं वो जिसे हासिल नहीं हैं हम.....!!!
तड़प रहे हैं वो जिसे हासिल नहीं हैं हम.....!!!
یه مت سمجھے کی تیرے قبل نہی ہیں ہم
تڈاپ رہی ہے وہ جسے حاصل نہی ہیں ہم
تڈاپ رہی ہے وہ جسے حاصل نہی ہیں ہم
Itna Attitude Na Dikha Zindagi Mai taqdeer Badalti Rehti Hai,
Shisha Vahi Rehta Hai ,Par Tasveer Badalti Rehti Hai.
Shisha Vahi Rehta Hai ,Par Tasveer Badalti Rehti Hai.
इतना Attitude न दिखा जिंदगी में तकदीर बदलती रहती है,
शीशा वहीं रहता है, पर तस्वीर बदलती रहती है।
शीशा वहीं रहता है, पर तस्वीर बदलती रहती है।
اتنا اٹھتیتدے نہ دکھا زندگی می تقدیر بدلتی رہتی ہے
شیشہ وہی رہتا ہے پر تصویر بدلتی رہتی ہے
شیشہ وہی رہتا ہے پر تصویر بدلتی رہتی ہے
Sir Jhukane Ki Aadat Nhi Hai,
Aansu Bahane Ki Aadat nhi Hai ,
Hm Kho gaye To Pachtaoge Bahat,
Kyunki Hamari Laut Ke Aane Ki Aadat Nhi Hai....
Aansu Bahane Ki Aadat nhi Hai ,
Hm Kho gaye To Pachtaoge Bahat,
Kyunki Hamari Laut Ke Aane Ki Aadat Nhi Hai....
सर झुकाने की आदत नहीं है,
आँसू बहाने की आदत नहीं है,
हम खो गए तो पछताओगे बहुत,
क्युकी हमारी लौट के आने की आदत नहीं है......!!!
आँसू बहाने की आदत नहीं है,
हम खो गए तो पछताओगे बहुत,
क्युकी हमारी लौट के आने की आदत नहीं है......!!!
سر جھکانے کی عادت نہی ہے
آنسو بہانے کی عادت نہی ہے
ہم کھو گئے تو پچتاؤگے بہت
کیکی ہماری لوٹ کے آنے کی عادت نہی ہے
آنسو بہانے کی عادت نہی ہے
ہم کھو گئے تو پچتاؤگے بہت
کیکی ہماری لوٹ کے آنے کی عادت نہی ہے
Agar fitrat hamari sehne ki na
hoti toh himmat tumhari bhi
kuch kehne ki na hoti..!!
hoti toh himmat tumhari bhi
kuch kehne ki na hoti..!!
अगर फितरत हमारी सहने की ना
होती तोह हिम्मत तम्हारी भी
कुछ कहने की ना होती।
होती तोह हिम्मत तम्हारी भी
कुछ कहने की ना होती।
اگر فطرت ہماری سہنے کی نہ
ہوتی تو ہمّت تمہاری بھی
کچھ کہنے کی نہ ہوتی
ہوتی تو ہمّت تمہاری بھی
کچھ کہنے کی نہ ہوتی