Shayari for Beauty “Humdum To Sath Sath Chalte Hain”
Raaste To Bewafa Badalte Hain,
Tera Chehra Hai Jab Se Aankhon Mein,
Meri Aankhon Se Log Jalte Hain.
हमदम तो साथ साथ चलते हैं,
रास्ते तो बेवफ़ा बदलते हैं,
तेरा चेहरा है जब से आँखों में,
मेरी आँखों से लोग जलते हैं.
ہمدم تو ساتھ ساتھ چلتے ہیں,
راستے تو بیوفا بدلتے ہیں,
تیرا چہرہ ہے جب سے آنکھوں میں,
- میری آنکھوں سے لوگ جلتے ہیں.
Neend Se Kya Shikwa Jo Aati Nahi Raat Bhar.
Kasoor Toh Unke Chehre Ka Hai Jo Sone Nahi Deta.
Kasoor Toh Unke Chehre Ka Hai Jo Sone Nahi Deta.
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर .
कसूर तो उनके चेहरे का है जो सोने नहीं देता .
कसूर तो उनके चेहरे का है जो सोने नहीं देता .
نیند سے کیا شکوہ جو آتی نہیں رات بھر.
کسور تو انکے چہرے کا ہے جو سونے نہیں دیتا .
کسور تو انکے چہرے کا ہے جو سونے نہیں دیتا .
Sab Honge Yaha Magar Hum Na Honge
Humare Na Hone Se Log Kam Na Honge
Aise To Bahut Milenge Pyar Karne Wale
Hum Jaise Bhi Milenge Magar Wo Hum Na Honge
Humare Na Hone Se Log Kam Na Honge
Aise To Bahut Milenge Pyar Karne Wale
Hum Jaise Bhi Milenge Magar Wo Hum Na Honge
सब होंगे यहाँ मगर हम न होंगे
हमारे न होने से लोग काम न होंगे
ऐसे तो बहुत मिलेंगे प्यार करने वाले
हम जैसे भी मिलेंगे म मगर वो हम न होंगे
हमारे न होने से लोग काम न होंगे
ऐसे तो बहुत मिलेंगे प्यार करने वाले
हम जैसे भी मिलेंगे म मगर वो हम न होंगे
سب ہونگے یہا مگر ہم نہ ہونگے
ہمارے نہ ہونے سے لوگ کم نہ ہونگے
ایسے تو بہت ملینگے پیار کرنے والے
ہم جیسے بھی ملینگے مگر وہ ہم نہ ہونگے
ہمارے نہ ہونے سے لوگ کم نہ ہونگے
ایسے تو بہت ملینگے پیار کرنے والے
ہم جیسے بھی ملینگے مگر وہ ہم نہ ہونگے
Husn Dikha Kar Bhala Kab Hui Hai Mohabbat
Wo To Kajal Laga Kar Hamari Jaan Le Gayi.
Wo To Kajal Laga Kar Hamari Jaan Le Gayi.
हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत
वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी।
वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी।
حسن دکھا کر بھلا کب ہی ہے موحبّت
وو تو کاجل لگا کر ہماری جان لے گی -
وو تو کاجل لگا کر ہماری جان لے گی -
Main Fanaah Ho Gaya
Uski Ek Jhalak Dekhkar,
Na Jane Har Roz Aayine Par
Kya Guzarati Hogi.
Uski Ek Jhalak Dekhkar,
Na Jane Har Roz Aayine Par
Kya Guzarati Hogi.
मैं फनाह हो गया उसकी एक झलक देखकर,
न जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी.
न जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी.
میں پھناه ہو گیا
اس کی ایک جھلک دیکھ کر،
نہ جانے ہر روز آئینے پر
کیا گزرتی ہو گی.
اس کی ایک جھلک دیکھ کر،
نہ جانے ہر روز آئینے پر
کیا گزرتی ہو گی.
Husn Walo Ko Sanwarne Ki Jarurat Kya Hai
Wo To Saadgi Me Bhi Qayamat Ki Adaa Rakhte Hain.
Wo To Saadgi Me Bhi Qayamat Ki Adaa Rakhte Hain.
हुस्न वालो को संवरने की जरुरत क्या है
वो ओ सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं।
वो ओ सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं।
حسن والو کو سنوارنے کی ضرورت کیا ہے
وو تو سادگی مے بھی قیامت کی ادا رکھتے ہیں-
وو تو سادگی مے بھی قیامت کی ادا رکھتے ہیں-