Zalim Tha Vo Or Zulm Ki
Aadat Bhi Bahut Thi ,
Majboor The Hum Us se
Mohabbat Bhi Bahut Thi….
ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की
आदत भी बहुत थी ,
मजबूर थे हम उस से
मोहब्बत भी बहुत थी।
ظالم تھا وہ اور ظلم کی
عادت بھی بہت تھی
مجبور تھے ہم اس سے
موحبّت بھی بہت تھی
Kaisa Hoga Zindagi Ka Safar,
Iska Bhala Kisko Ilm Hai,
Acchi Guzre Toh Jannat Hai,
Jo Na Guzre Toh Saza-e-Zulm Hai….
कैसा होगा ज़िन्दगी का सफर ,
इसका भला किसको इल्म है ,
अच्छी गुज़रे तोह जन्नत है ,
जो न गुज़रे तोह सज़ा -ए -ज़ुल्म है।
کیسا ہوگا زندگی کا سفر
اسکا بھلا کیسکو علم ہے
اچھی گزرے تو جنّت ہے
جو نہ گزرے تو سزا -ا -ظلم ہے
Zulm Karne Vala Zulm Karke Mit Jaega
Zulm Sehne Vala Zulm Sah Ke
Puri Duniya Ke Dilo Mai Cha Jayega.
ज़ुल्म करने वाला ज़ुल्म करके मिट जायेगा
ज़ुल्म सहने वाला ज़ुल्म सेह के
पूरी दुनिया में छा जायेगा।
ظلم کرنے والا ظلم کرکے مٹ جاےگا
ظلم سہنے والا ظلم سہ کے
پوری دنیا کے دلو می چا جاےگا
Itni si Zindagi Hai,
Par Khwab Bhut Hai…
Zulm Ka Pata Nhi Yaaroo,
Par Ilzam Bhut Hai….
इतनी सी ज़िन्दगी है ,
पर खुआब बहुत है। ..
ज़ुल्म का पता नहीं यारों ,
पर इलज़ाम बहुत है।
اتنی سی زندگی ہے
پر خواب بہت ہے
ظلم کا پتا نہی یارو
پر الزام بہت ہے
Tere Har Zulm Ka Mere Upar….
Hisaab Tujhko Yaad Dilayenge…..
Qayamat Hone Se Pehle…
Tujhko Har Baar Yeh Ehsas Dilayenge…..
तेरे हर ज़ुल्म का मेरे ऊपर
हिसाब तुझको याद दिलाएंगे ,
क़यामत होने से पहले
तुझको हर बार यह एहसास दिलाएंगे।
تیرے ہر ظلم کا میرے اوپر
حساب تجھکو یاد دلاینگے
قیامت ہونے سے پہلے
تجھکو ہر بار یہ احساس دلاینگے
Ajeeb zulm Karti Hai teri Yaaden Mujh Par,
So Jaao To Jaga Deti Hai,Aur Jaag Jaao To Rula Deti Hai …..
अजीब जुल्म करती है तेरी यादें मुझ पर,
सो जाऊ तो जगा देती है, और जाग जाऊ तो रुला देती है…
عجیب ظلم کرتی ہے تیری یادیں مجھ پر
سو جاؤ تو جگا دیتی ہے ، اور جاگ جاؤ تو رولا دیتی ہے
Baat Kuch Aur Hoti Hain, Bayan Kuch Aur Karte Hain…..
Khafa Jab Tumse Hote Hain, To Zulm Khud pr Karte Hain…..
बात कुछ और होती है,बयाँ कुछ और करते हैं….
ख़फा जब तुमसे होते हैं,तो जुल्म खुद पर करते है….
بات کچھ اور ہوتی ہے ،بیان کچھ اور کرتے ہے
خفا جب تمسے ہوتے ہے ،تو ظلم خود پر کرتے ہے